
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिस किसी को भी यह अपने कैद में ले लें तो वह इंसान खुद को मरा हुआ ही समझता है। इन दिनों ब्लड कैंसर (रक्त कैंसर) के मरीजों की संख्या काफी तेज़ी से बढ़ती जा रही है। यूं तो कैंसर कई प्रकार के होते है, जैसे कि पेट का कैंसर, गले का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर आदि। ब्लड कैंसर भी एक प्रकार का कैंसर है जो की खून में होता है। इसमें कैंसर की कोशिकाएं धीरे-धीरे खून में फैलने लग जाती है। यह कोशिकाएं समाप्त नहीं होती है, बल्कि दिन प्रतिदिन और गंभीर रूप लेने लगती है|
रक्त कैंसर तीन प्रकार के होते है| जैसे ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा। रक्त कैंसर से ग्रसित रोगी को बहुत थकान महसूस होती है| थोड़ा सा भी काम करने पर सांस फूलने लगती है| यहाँ तक की ल्यूकेमिक सेल्स (कैंसर कोशिकाएं) यदि पुरे शरीर में फैलती है तो शरीर के अंगो को भी निष्क्रिय कर देती है|
कैंसेर की सारी बीमारियो में ब्लड कैंसेर का प्रतिशत 2% होता है. बच्चो की तुलना में ब्लड कैंसेर युवो में होने की अधिक संभावना होती है. ल्यूकीमिया का अगर समय पर इल्लज नही करवाया जाए तो व्यक्ति सिर्फ़ 4 साल ही जीवित रह सकता है. और समय पर इस बीमारी का पता चलने पर व्यक्ति स्वस्थ भी हो सकता है. ब्लड कैंसेर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है. ब्लड कैंसेर होने के कई कारण हो सकते है.
मुख्यतः ब्लड कैन्सर के आठ लक्षण होते हैं:
- पेशाब में आने वाले खून
- एनीमिया
- शौच के रास्ते खून आना
- खांसी के दौरान खून का आना
- स्तन में गांठ
- कुछ निगलने मेंपरेशानी
- मीनोपॉस के बाद खून आना
- प्रोस्टेट के परीक्षण के असामान्य परिणाम
रोग-प्रतिरोधक क्षमता का कम होना
ब्लड कैंसर होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक (इम्यून सिस्टम) क्षमता का कम होना है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर के फैलने का कारण होती है। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण शरीर में अन्य रोग जैसे गठिया या अर्थराइटिस हो जाता है जो कि ब्लड कैंसर को बढने में मदद करता है।
केमिकल्स के संपर्क में आना
आज का वतावरण बहुत ही प्रदूषित है जिसमें वातावरण में कई प्रकार के हनिकारक केमिकल मिले हुए हैं। कीटनाशकों (मच्छर और कॉक्रोच मारने की दवा) और नाइट्रेटयुक्त पानी का प्रयोग करने से ब्लंड कैंसर होने का खतरा बढता है। पेट्रोल और सिगरेट के धुएं से भी ब्लड कैंसर होने का खतरा होता है।
संक्रमण
एचआइवी व एड्स से ग्रस्त होने पर ब्लड कैंसर होने का खतरा बढ जाता है। क्योंकि एड्स का संक्रमण खून में ज्यादा होता है। इसके अलावा अगर आपको अन्य बीमारियां भी हैं तो उसके संक्रमण से रक्त कैंसर होने का खतरा रहता है।
आइए बताते हैं क्या है ब्लड कैंसर का इलाज –
अच्छी देख-रेख
ब्लड कैंसर से जंग लड़ रहे मरीजों को अच्छी देखरेक की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। रोगी की हर तीन महीने पर नियमित रूप से जांच करवाएं। कैंसर का इलाज शुरू करने में देरी बिल्कुल भी ना करें। बता दें कि मरीज की सावधानी से देखरेख करने का तरीका अपनाने से कैंसर के इलाज के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं।
बाइयोलॉजिकल थेरपी
ब्लड कॅन्सर से पीड़ित व्यक्ति जब दवाई लेता है तो उसे बाइयोलॉजिकल थेरपी कहते है. इस थेरपी को करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. इस थेरपी के अंदर माँस में दवा को सिरीज़ के ज़रिए शरीर में पहुचाया जाता है.
स्टिम सेल ट्रॅन्सप्लॅंट
ब्लड कैंसेर का इल्लज स्टिम सेल ट्रॅन्सप्लॅंट के द्वारा भी किया जा सकता है. इस थेरपी में आपको हाई डोस दवाई दी जाती है. इन हाई डोस दवाई की वजह से ल्यूकेमिया कोशिकाए और बोन मैरो दोनो प्रभावित होती है. हाई डोस किमोथेरेपी और रेडीयेशन थेरपी लेने के लंबे समय बाद आपको स्वस्थ कोशिकाए मिलती है. स्टिम सेल ट्रॅन्सप्लॅंट से नयी कोशिकाओ को बनाया जाता है.
कैंसेर से बचाव के लिए रखे इन बातो का ख़याल
- धूम्रपान करने से बचे या धूम्रपान करने वाले के संपर्क मैं ना आए.
- गुटखा, पनमसाला, तंबाकू, शराब का सेवन ना करे.
- अल्यूमिनियम और प्लास्टिक के बर्तन में बहुत अधिक सेवन करने से भी कैंसेर होने का ख़तरा होता है.
- दूषित पानी के सेवन से भी कैंसेर हो सकता है.